January 12, 2022

How to useTop5 Technical Indicators in Stock Market India 2023

How to useTop5 Technical Indicators in Stock Market India 2023

 

Best ever Technical Indicators For Trading in Stock Market in Hindi

शेयर बाजार के टॉप 5 टेक्निकल इंडीकेटर्स और उसका उपयोग

 

 

इंडिकेटर और ओसुलेटर का परिचय

  • स्टॉक चार्ट का टेक्निकल एनालिसिस करते वक़्त हमें भविष्य में घटने वाली घटनाओंका पूर्वानुमान भूतकालमे घटी घटनाओंसे लगाना होता है |
  • हम स्टॉक की कीमतों के उतार व चढ़ाव, खरीददार या विक्रेताओंकी संख्या यानि वॉल्यूम (Volume ) या ओपन इंट्रेस्ट(Open Interest ) ऐसे बोहोत सारी जानकारिओका अध्ययन करते है |
  • इस अध्ययन के लिए गणितीय फॉर्म्युलास को इस्तेमाल में ला के Indicators और oscillator बनते है | जो हमें स्टॉक चार्ट को टेक्नीकली अच्छेसे समझनेमे मदत करते है |
  • टेक्निकल इंडीकेटर्स / ओसुलेटर्स का उद्देश हमें स्टॉक की क़ीमतोमे होने वाले उतार चढ़ाव और इन उतार चढ़ाव की तीव्रता की पूर्वसूचना देना होता है |
  • बोहोत सारे ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर हमें इंडीकेटर्स और ओसुलेटर्स का विशाल सेट देते है | जिनके इस्तेमाल से हम अपने पूर्वानूमान में ज्यादा सटीकता ला सकते है |

 

इंडीकेटर्स और ओसुलेटर्स को इस्तेमाल में कैसे लाये

इंडीकेटर्स और ओसुलेटर्स को इस्तेमाल करने के लिए आपको आपके टाइम फ्रेम,आपका रिस्क एंड रिवॉर्ड रेश्यो ,विनिंग और लूसिंग ट्रेड की संभावना ऐसी बातोंका ध्यान रखना होता है | इन सारी बातों का ध्यान रखके आपको आपके इस्तेमाल में लाये हुए इंडीकेटर्स और ओसुलेटर्स को सेट करना होगा |

  1. आप इंडीकेटर्स और ओसुलेटर्स में वैल्यूज को सेट कर सकते है | या इंडीकेटर्स और ओसुलेटर्स के सेट को भी एक साथ इस्तेमाल में ले सकते है | जिसका उद्देश्य आपके ट्रेड की सटीकता को बढ़ाना होता है |
  2. इंडीकेटर्स और ओसुलेटर्स में वैल्यूज को सेट करते वक्त आपको ये ध्यान में रखना चाहिए की आपको आपकी ट्रेड टाइम फ्रेम के हिसाबसे खरीदने का संकेत कमसे कम कीमत पर मिले और बेचनेका या प्रॉफिट बुकिंग का संकेत ज्यादा से ज्यादा कीमत पर मिले | जिससे ये होगा की आप कम से कम रिस्क में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सके |
  3. इंडीकेटर्स और ओसुलेटर्स में बुनियादी फर्क ये है की इंडीकेटर्स आपको मार्केट के ट्रेंड के बारेमे पूर्वसूचना देता है और ओसुलेटर्स आपको उस ट्रेंड की तीव्रता के बारेमे पूर्वसूचना देता है |
  4. इंडीकेटर्स और ओसुलेटर्स के सेटिंग में जब आप टाइम  फ्रेम या वैल्यूज बढ़ाएंगे तो आप देखेंगे की आपको मिलनेवाले खरीदने /बेचने के संकेत की संख्या कम हो जाएगी और आपके फॉल्ससंकेत भी कम हो जायेंगे और अगर आप टाइम फ्रेम या वैल्यूज को कम करेंगे तो आपके खरीदने /बेचने के संकेत की संख्या और साथ ही साथ फॉल्स संकेतोंकी संख्या भी बढ़ जाएगी|
  5. तो ये बात ट्रेडर ने हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए की जो भी खरीदने / बेचने के संकेत आप ले रहे है उसमे अपने रिस्क और रिवॉर्ड के रेश्यो का पालन हो |

 

What are the Technical indicators Types

इंडिकेटर के प्रकार

यहाँ हम टेक्निकल एनालिस्ट के द्वारा ज्यादा इस्तेमाल किये जाने कुछ इंडीकेटर्स और ओसुलेटर्स के बारेमे जानेंगे |इंडीकेटर्स और ओसुलेटर्स के ४ प्रमुख प्रकार सामने आते है

  • ट्रेंड इंडिकेटर (TREND INDICATOR)
  • मूवमेंटेम इंडिकेटर ( ट्रेंड की गति ) (MOMENTUM INDICATOR)
  • ट्रेंड की स्थिरता या अस्थिरता (VOLATILITY INDICATOR)
  • क्रेता विक्रेताओंकी संख्या (VOLUME INDICATOR)

मिलने वाले संकेत अगर हमें ट्रेंड शुरू होनेसे पहले मिलते है तो उन्हें हम लीडिंग इंडीकेटर्स कहेंगे वही अगर संकेत बादमे मिलते है तो उन्हें लॉगिंग इंडीकेटर्स कहेंगे |

 

ट्रेंड इंडिकेटर (Trend Indicators)

जो आपको ट्रेंड के दिशा और तीव्रता के बारेमे पूर्वसूचना दे |

  • मूविंग एवरेज (MOVING AVERAGES)
  • मूविंग एवरेज क्रॉसओवर डिवीज़न (MACD)
  • पैराबोलिक स्टॉप एंड रिवर्स (parabolic SAR)

 

 मोमेंटम इंडिकेटर (Momentum Indicators)

जो आपको कीमत के बदलाव में लगनेवाले वक्त के बारेमे पूर्वसूचना दे |

  • स्टोकेस्टिक ओसुलेटर (STOCHASTIC OSCILLATOR)
  • कमोडिटी चैनल इंडेक्स (COMMODITY CHANNEL INDEX)
  • रिलेटिव स्ट्रेंग्थ इंडेक्स (RSI)

 ट्रेंड की स्थिरता या अस्थिरता

जो आपको कीमत के बदलाव में स्थिरता या अस्थिरता  के बारेमे पूर्वसूचना दे |

  • बोलिंजर बैंड्स (BOLLINGER BANDS)
  • एवरेज ट्रू रेंज (AVERAGE TRUE RANGE)
  • स्टैंडर्ड डेविएशन (STANDARD DEVIATION)

 

 क्रेता विक्रेताओंकी संख्या – ( Volume Indicators)

जो आपको ट्रेंड की तीव्रता और उसके कंटीनुअशन के बारे में पूर्वसूचना दे |

  • चैकीन ओसुलेटर (CHAIKIN OSCILLATOR)
  • ऑन बैलेंस वॉल्यूम (ON BALANCE VOLUME)
  • वॉल्यूम रेट ऑफ़ चेंज (VOLUME RATE OF CHANGE)

 

 

What is Moving Average?

  • शेयर मार्किट में स्टॉक या इंडेक्स की प्राइस की एवरेज या औसत का उपयोग किया जाता है , चार्ट पर 5 दिन से लेकर 2०० दिन तक का एवरेज देखी जाती है ,
  • Trading ke liye Trader  10 MA , 20 MA ,30 MA ,50 MA   मूविंग एवरेज का उपयोग  कर सकते है , और इन्व्हेस्टमेंट या लंबी अवधी के ट्रेडिंग के लिये बडे मूविंग अवेरजे (  100 MA , 150 MA , 200 MA ) का उपयोग होता है ।
  • १० दिन का मूविंग एवरेज मतलब पिछले १० की क्लोजिंग प्राइस को मिलकर उसे १० दिन से विभाजित करने पर हमे दस दिन एवरेज प्राइस मिलती है , और हर दिन एक वैल्यू आती है उसे जोड़कर हमे मूविंग एवरेज एक लाइन के रूप में नज़र आता है |
  • Moving Average हमे ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर में इंडिकेटर के रूप में बनी बनायीं मिलती है|

         

                                            What is Average in Moving Average ?                                                

 

 

 

Uses of  Moving Average? मूविंग एवरेज के फायदे 

 

  • प्राइस में थोड़े टाइम के लिए आये बड़ी तीव्रता को मूविंग एवरेज की मदत से फ़िल्टर किया जा सकता है| जिससे आपको ट्रेंडको समझनेमे आसानी होती  है |
  • मूविंग एवरेज की मदत से आप सपोर्ट और रेजिस्टेंस भी सटीकता से निकल सकते है |मूविंग एवरेज को और इंडीकेटर्स के साथ मिलके हम ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी भी बना सकते है|
  • मूविंग एवरेज एक लेगिंग इंडिकेटर है |
  • अगर आप कम टाइम फ्रेम का मूविंग एवरेज इस्तमाल में लाएंगे तो आपको ज्यादा बाइंग /सेल्लिंग सिग्नल मिलेंगे लेकिंन छोटे मुनाफे ही मिलेंगे इसमें आपको फॉल्स सिग्नल भी ज्यादा मिल सकते है | इसके विपरीत अगर आप टाइम फ्रेम बड़ा रखेंगे तो आपको कम बाइंग /सेल्लिंग सिग्नल मिलेंगे साथ ही बड़ा ट्रेंड या बड़ा स्टॉपलॉस भी मिल सकता है | बड़े टाइम फ्रेम में आपको कम बाइंग /सेल्लिंग सिग्नल मिलेंगे |

 

Uses of Moving Average

 

 

 

मूविंग एवरेज के प्रकार – Moving Averages Types

         सिंपल मूविंग एवरेज -SMA (Simple Moving Average)

 

Simple Moving Average में आपको विशिष्ठ टाइम फ्रेम में मिले सभी डाटा पॉइंट्स को समान महत्व होता है | उन सभी डाटा पॉइंट्स के वैल्यूज को डाटा पॉइंट्स की कुल संख्या से विभाजित किया जाता है |

 

         एक्सपोनान्शिअल मूविंग एवरेज- EMA (Exponential Moving Average)

Simple Moving Average  में जो महत्व सभी डाटा पॉइंट्स के वैल्यूज को मिलता है  एक्सपोनान्शिअल मूविंग एवरेज (Exponential Moving Average) में वही महत्व Recent  (हालिया) डाटा पॉइंट्स को मिलता है जिससे एक्सपोनान्शिअल मूविंग एवरेज सिंपल मूविंग एवरेज के तुलना में हालही में आये बदलाओके बारेमे ज्यादा जानकारी दे सकता है |

 

Moving average convergence divergence (MACD) indicator

मूविंग एवरेज कन्वर्जेन्स डाइवर्जेंस (एमएसीडी) इंडिकेटर

  • MACD एक मूवमेंटम इंडिकेटर है ,यह दो मूविंग एवरेज के बीच का संबंध को दर्शाता है इसे ट्रेंड फोल्लोविंग इंडिकेटर के रूप में भी देखा जाता है
  • MACD इंडिकेटर का उपयोग On going Trend  और Trend Reversal की पहचान करने के लिए किया जाता है|
  • MACD लाइन जब Signal Line  को निचे से Crossover करती है तो बुलिश सिग्नल हो सकता है|
  •  MACD लाइन जब सिग्नल लाइन को ऊपर से Crossover करती है तो ये बेयरिश सिग्नल हो सकता है |

 

 

Parabolic SAR Indicator – पैराबोलिक SAR इंडिकेटर

 

  • इसका उपयोग  दिशा  (Trend)  जानने के लिए किया जाता है |
  • इसका उपयोग Trend में Entry लेने के लिए भी होता है , पहले Dot पे आप एंट्री ले सकते है लेकिन इसको मूविंग एवरेज या Support & Resistance  के साथ उपयोग करना बेहतर होता है ताकि false Signal in Stock Market (गलत सिग्नल ) को पहचाना जा सके।
  • इसका उपयोग आप Trelling  stop loss के तरह भी कर सकते है |
  • यह  lagging Indicator  है |

 

 

 

 

What is Relative Strength Index  – रिलेटिव स्ट्रेंग्थ इंडेक्स (RSI)

 

  • यह एक मोवमेंटम इंडिकेटर है | ( Movmentem Indicator)
  • रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI) हमें स्टॉक के ट्रेन्ड की करंट और हिस्टॉरिकल स्ट्रेंथ या वीकनेस के बारेमे जानकारी देता है | ये जानकारी नजदीकी क्लोजिंग कीमतों पर निर्भर होती है |
  •  RSI हमें स्टॉक के प्राइस में होनेवाले बदलाव की गति के बारेमे भी सूचित करता है |
  •  रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI) हायर क्लोजिंग के वैल्यूज से लोवर क्लोजिंग के वैल्यूज के रेश्यो से बनता है |
  •  रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI) आपको सब चार्ट के रूप में चार्ट के निचे दिखाई देता है | जिसमे ०० से १०० तक का Range होता है
  •  अगर रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स अगर ओवर ब्रॉट जोन में है तो ट्रेडर बिकवाली के संकेत पे काम कर सकता है और अगर रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स अगर ओवर सोल्ड जोन में है तो ट्रेडर खरीददारी के संकेत पे काम कर सकता है |

 

 

 

 

  •  कभी कभी ऐसा होता है की स्टॉक की प्राइस  Higher High बना रही है लेकिन रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स में आपको Lower High  बनते नजर आ रहे है या फिर स्टॉक की प्राइस लगातार Lower Low बना रही है लेकिन RSI  में आपको Higher Low बनते नजर आ रहे है इसे हम रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स डायवर्जन (RSI Divergence) कहेंगे |
  •  अगर स्टॉक की प्राइस हायर हाई बना रही है पर रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स लोअर हाई बनती हुए नज़र आ रही है तो ये बेयरिश डायवर्जनयानि स्टॉक के प्राइस में गिरावट होने का संकेत देता है |
  •  इसके विपरीत अगर स्टॉक के प्राइस में लोअर लो बनते है और रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स में हायर लो बन रहे है तो इसे बुलिश डायवर्जन कहेंगे यहाँ आपको स्टॉक के प्राइस में वृद्धि होनेके संकेत मिलेंगे |

 

 

 

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