What is Impact cost of stocks & option, Stock Liquidity in Hindi | इम्पेक्ट कॉस्ट क्या होता है ?
What is Impact cost of stocks?
Imapct Cost meaning in Hindi , इम्पेक्ट कॉस्ट क्या होता है ?
- What is impact cost with example? – Imapct Cost को हम एक उदहारण से समजते है , स्टॉक मार्केट में सेलर और बायर की वजह से स्टॉक की कीमत कम ज्यादा होती रहती है ,
- एक ABC कंपनी है उसके स्टॉक की कीमत अभी 200 Rs चल रही है |
- एक खरीदने वाला आता है उसे 1 लाख शेयर्स खरीदने है लेकिन 199 से 200 इसी बीचमे उसे चाहिए उसी वक्त ABC कंपनी के शेयर्स बेचने वाला आता है उसे 1. 5 लाख शेयर्स बेचने है | लेकिन 200 से 202 के बीचमें |तो ABC कंपनी के स्टॉक की कीमत 200 लेकर 201 तक ही बढ़ेगी ,
- लेकिन उसी वक्त अगर कोई खरीदने वाला अत है जिसे 10 लाख शेयर्स खरीदने है तो क्या होगा , शेयर्स की कीमत और ज्यादा बढ़ेगी क्यू की सप्लाई कम हुवा और डिमांड बढ़ गयी ,
- अगर ये खरीदने वाला नहीं आता तो ABC कंपनी के स्टॉक का ट्रेड एवरेज प्राइस मतलब 201 पे सब ट्रेड पुरे हो जाते और प्राइस 201 से आगे बढ़ता ही नहीं|
What is Stock Liquidity ?
1. 5 लाख शेयर्स का ट्रेड हुवा डिमांड बढ़ने के कारन स्टॉक की कीमत 200 से 201 हो गयी इसही इम्पेक्ट कॉस्ट कहते है |
इसका मतलब ऐसे स्टॉक में liquidity ज्यादा है , अगर स्टॉक की कीमत 1. 5 लाख शेयर्स के ट्रडिंग होने पर में ज्यादा बदलाव आता तो यह स्टॉक में कम लिक्विडिटी ( liquidity ) है ऐसा अनुमान लगता है |
Impact cost future and options Contracts
अगर हम डेरीवेटिव सेगमेंट यानि future & Option की बात करते है तो उसमे आप हमेशा वर्तमान महीने यही जो महीना चल रहा है उसके कॉन्ट्रैक्ट में ज्यादा कारके ट्रेड करे क्यू की वर्तमान महीने के कॉन्ट्रैक्ट में ज्यादा liquidity के चलते बेचने के प्राइस में ज्यादा अंतर नहीं अत है
90 % ट्रेड स्टॉक /इंडेक्स में वर्तमान महीने के कॉन्ट्रैक्ट में होते है , और लास्ट वीक में अगले महीने के कॉन्ट्रैक्ट में ट्रेड बढ़ने लगते है |
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