Fundamentals of Investing in Stock Market India 2023 |शेयर बाजार में निवेश की मूल बातें
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When to Start Investing in Stock Market ?
- जब हम कमाना शुरू करते है ,तो पहले लोग वेतन ( Salary) के पैसे में से निवेश करना या खरीददारी करना पसंद करते है , लेकिन एक सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक ज़रूरत को किनारे कर दिया जाता है जो है बीमा
- एक बीमा पॉलिसी एक लंबी अवधि का निवेश होती है, जो आपके परिवार को सुरक्षा देने का एक प्रमुख साधन होती है। जिंदगी अनिश्चित होती है और बीमा पॉलिसी का होना आपके परिवार को एक तरह का आर्थिक सहारा होता है।
- टर्म इंश्योरेंस ( Term Life Insurance Plan ) और हेल्थ इन्शुरन्स ( Health Insurance Policy ) होना बहोत जरुरी है |
- पावर ऑफ कंपाउंडिंग का लाभ उठाने के लिए आपको नियमित रूप से निवेश करना चाहिए|
फाइनेंसियल पोर्टफोलियो और शेयर बाजार पोर्टफोलियो क्या है ?
What is Financial Portfolio & Stock Market Portfolio
- financial portfolio is collection or selection of investment securities like bonds, mutual funds, pension plans, real estate and even physical assets such as gold .
- Stock Market Portfolio – Collection or selection of stocks,bonds from different sectors which are not directly related to each other .
Portfolio Management पोर्टफोलियो मैनेजमेन्ट
किसी एक जगह या किसी एक सेक्टर या किसी एक स्टॉक पर आपकी पूरी इन्वेस्मेंट न लगाके उसे अलग अलग सेक्टर ,स्टॉक पर इन्वेस्ट करना ताकी अगर कोई सेक्टर या स्टॉक किसी वजह से कम होता है , तो दूसरा सेक्टर या स्टॉक आपके पोर्टफोलियो को बैलेंस कर सके इसेही पोर्टफोलियो मैनेजमेन्ट कहते है|
Types of Portfolio – पोर्टफोलियो निवेश के प्रकार
- The Aggressive Portfolio -Portfolio that takes a greater risk for high returns.
- The Defensive Portfolio– In defensive portfolio, the aim is to bring down the risk of losing the principal,low-risk low profit portfolio.
- The Income Portfolio -In income portfolio goal is to Making money or Generating a positive cash flow like dividends from stocks .
- The Hybrid Portfolio-Diversification in stocks and high-grade corporate or government bonds in relatively fixed proportions.
Factors To Consider When Creating a Portfolio
पोर्टफोलियो बनाते समय ध्यान देने योग्य बातें
- Diversification – विविधीकरण करना
- Regular Investment – नियमित निवेश
- Follow up and rearrange if require -जानकारी लेना और पुनर्निर्माण करना
- Proper research – ध्यान रखना
- Risk & Reward Analysis – जोखिम और लाभ विश्लेषण
What Factors to consider When select Stock for investing ?
कंपनी का बाजार मूल्य
Market capitalization (Market Value of company )
शेयर का वर्तमान बाजार मूल्य (500 rs ) x शेयरों की कुल संख्या (50000000 nos.) = मार्केट कैपिटलाइजेशन (2500 crore)
शेयर होल्डिंग पैटर्न क्या होता है ?
What is Share Holding Pattern ?
शेयरहोल्डिंग पैटर्न पेज प्रमोटर की होल्डिंग, FII (Foreign Institutions) की होल्डिंग, DII (Domestic Institutional Investors) की होल्डिंग और आम जनता (General Public) द्वारा शेयर होल्डिंग आदि को प्रस्तुत करता है।
प्रमोटर और प्रमोटर ग्रुप– Promoter’s holding – सेबी के अनुसार प्रमोटर की अधिकतम होल्डिंग कुल शेयरों के 75% से अधिक नहीं होनी चाहिए | प्रमोटर की हिस्सेदारी कंपनी के विश्वास और विश्वसनीयता का एक महत्वपूर्ण संकेतक है|उच्च हिस्सेदारी सकारात्मकता का संकेत देती है, कम प्रमोटर हिस्सेदारी कम आत्मविश्वास का संकेत देती है|
- Promoter & Promoter Group
- Public
- Foreign Institutions (FII)
- Mutual Funds (DII)
- Central Govt
EPS (Earning Per Share) प्रति शेयर कमाई
Trailing EPS – Last Financial year end Earning .
Current EPS – Current year Earning .
Forward EPS – Earning Estimate for future year .
यदि आपके पास कंपनी के 100शेयर्स है तो आपका EPS 1000 rs.होता है | लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि कंपनी शेयर धारक को सभी भुगतान करेगी, कंपनी के विकास के लिए और कुछ शेयर धारक को dividend के रूप में दे सकती है ,अगर कंपनी विकास के लिए उपयोग करती है तो शेयर की कीमत बढ़ सकती है |
P/E Ratio – Price /Earnings Ratio
P/E Ratio को तुलना करने के लिए उपयोग किया जाता है , उसी सेक्टर के दूसरे कंपनी से या फिर या उसी कंपनी के सेक्टर से ,अगर P/E Ratio कम हे तो उसका आप लाभ उठा सकते हैं।
किसी भी कंपनी का P/E Ratio यह पहचानने में मदद करता है कि उसके साथि कंपनी से कितनी सस्ती या महंगी है।अगर उसी सेक्टर के दूसरे कंपनी का P/E Ratio इस Company ज्यादा है तो हमे ये कंपनी के शेयर और बढ़ने की उम्मीद है, इसी तरह हम सेक्टर से भी तुलना कर सकते है,इस कंपनी का P/E Ratio इन्डस्ट्री के P/E Ratio से कम है तो ये पॉजिटिव संकेत मन जाता है
EBITDA stands for “Earnings before interest, taxes, depreciation and amortization .
EBITDA tells the investor, the profit that the company is making from its operations. If the EBITDA is negative, then it is a very negative sign because it means that the company is losing money in its core prosperity.
Cash Flow-कॅश फ्लो
कैश फ्लो एक निश्चित अवधि, जैसे एक financial year में व्यवसाय में आने या बाहर जाने वाली राशि है। यह यह निर्धारित करने में मदद करता है कि कंपनी के पास कितनी liquidity है। यदि कोई कंपनी “Cash flow सकारात्मक” है, तो इसका मतलब है कि वह व्यवसाय से अधिक नकदी पैदा कर रही है, जितना वह भुगतान कर रही है। यह एक सकारात्मक संकेत है क्योंकि इसका मतलब है कि कंपनी के पास सौदेबाजी की शक्ति(bargaining power) है। यह अपने ग्राहकों को बेच रहा है और जल्दी payment प्राप्त कर रहा है जबकि यह आपूर्तिकर्ताओं से खरीद रहा है और उन्हें देर से भुगतान कर रहा है। यदि कोई कंपनी “नकदी प्रवाह नकारात्मक” है, तो यह एक खतरनाक संकेत है क्योंकि इसका मतलब है कि कंपनी के पास कोई तरलता नहीं है और वह अपने suppliers and creditors पर पूरी तरह निर्भर है।
Dividend Yield- डिविडेंड यील्ड
- डिविडेंड यील्ड ‘एक फिनांशल रेश्यो है जो दर्शाता है कि कंपनी अपने शेयर की कीमत के सापेक्ष प्रत्येक वर्ष लाभांश में कितना भुगतान करती है|
Support and Resistance
- सपोर्ट रेजिस्टेंस को डिमांड और सप्लाई झोन भी कहते है , इसका उपयोग इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग में भी होता है |
- जैसे आम मार्किट में कोई चीज की डिमांड या मांग ज्यादा होती है , और सप्लाई मतलब बेचने वाले कम है तो उस चीज का भाव बढ़ता है |
- स्टॉक मार्किट में भी होता है , मगर इसे पहचानने के लिए अभ्यास की जरुरत होती है , जैसे जैसे आपको अनुभव आएगा वैसे आप सही डिमांड और सप्लाई झोन को पहचानकर सही तरीके से इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग भी कर सकते है
- Support & resistance को आगे हम विस्तार से देखेंगे |
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