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डेरीवेटिव मार्केट में एक शेयर का व्यवहार नहीं होता है , यहाँ उसी स्टॉक के अनेक शेयर को मिलकर एक कॉन्ट्रैक्ट बनता है और उस कॉन्ट्रैक्ट को मार्केट में ट्रेड किया जाता है |
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट को एक्सपायरी डेट होती है | इसके कारन उसकी वैल्यू स्पॉट मार्केट के प्राइस से ज्यादा होती है इसको कॉस्ट ऑफ़ कैरी कहते है |
( COST OF CARRY )