Derivative Market Aasan Hai

फ्यूचर & ऑप्शन का बेसिक नॉलेज

डेरीवेटिव मार्किट का निर्माण स्टॉक मार्केट की जोखिम को कम करने के लिए किया गया है

Image Credit - qooling

Derivative Market Structre

Future Contract का व्यवहार Exchange के माध्यम से होता है  और forward contract का व्यवहार एक्सचेंज के माध्यम से नहीं होता है

लॉट साइज (LOT SIZE)

डेरीवेटिव मार्केट में एक शेयर का व्यवहार नहीं होता है ,  यहाँ उसी स्टॉक के अनेक शेयर को मिलकर एक कॉन्ट्रैक्ट बनता है और उस कॉन्ट्रैक्ट को मार्केट में ट्रेड किया जाता है |

फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट में टाइम वैल्यू              ( TIME VALUE )  होने के कारन फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट की कीमत स्टॉक के कीमत से ज्यादा होती है

यहाँ स्टॉक मार्केट की कीमत और फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट की कीमत में जो अंतर तैयार हो जाता है उसे बेसिस कहते है |

What is Basis ? 

कॉस्ट ऑफ़ कैरी क्या है ?

फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट को एक्सपायरी डेट होती है | इसके कारन उसकी वैल्यू स्पॉट मार्केट के प्राइस से ज्यादा होती है  इसको कॉस्ट ऑफ़ कैरी  कहते है |

( COST OF CARRY )

options या futures contracts ख़रीदा है और आपने उसे अभी बेचा नहीं है मतलब आपका ट्रेड अभी ओपन है जितने लोगोने बस खरीदा है मतलब उनकी पोजीशन अभी ओपन है ,इसीको ही ओपन इंटरेस्ट (Open Interest ) कहते है | 

डेरीवेटिव मार्केट में वॉल्यूम से कही ज्यादा ओपन इंटरेस्ट का महत्व होता है |

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